हरियाणा में अब बिना अनुमति पेड़ काटना अपराध, वन विभाग की मंजूरी अनिवार्य — पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

हरियाणा सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। अब प्रदेश में कहीं भी पेड़ काटने से पहले वन विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति पेड़ काटता है, तो उस पर वन संरक्षण अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यह नियम राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तर्ज पर हरियाणा में लागू किया गया है, जिससे राज्य में हरियाली को बढ़ावा मिल सके और पर्यावरण संरक्षण को मजबूत बनाया जा सके।

पेड़ काटने से पहले अब जरूरी होगी वन विभाग की स्वीकृति

पहले यह नियम केवल उन्हीं इलाकों में लागू था, जहां पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम की धारा-4 लागू थी। राज्य के अन्य हिस्सों में पेड़ों की बिना किसी रोक-टोक कटाई की जा रही थी। पर्यावरण सुधार और हरियाली बनाए रखने के लिए रोहतक के निवासी सुखबीर सिंह ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में एक याचिका दायर की थी। इस मामले में सुनवाई के बाद NGT ने 9 सितंबर को आदेश जारी किया कि पूरे हरियाणा में पेड़ काटने से पहले वन विभाग की अनुमति आवश्यक होगी।

इन जिलों में नियम लागू

NGT के आदेश के बाद राज्य के वन विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इस नियम को लागू कर दिया है। प्रारंभिक रूप से इसे गुरुग्राम मंडल में लागू किया गया है, जिसमें गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिले शामिल हैं। विभाग ने कहा है कि जल्द ही यह नियम पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा ताकि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में समान प्रभाव सुनिश्चित किया जा सके।

7 पेड़ों की कटाई में मिली छूट

हालांकि किसानों को कृषि आधारित व्यवसाय को प्रोत्साहन देने के लिए 7 पेड़ों की प्रजातियों को इस आदेश से छूट दी गई है। इन पेड़ों में सफेदा, पॉपलर, उल्लू नीम, बकायन, बांस, अमरूद और शहतूत शामिल हैं। इन पेड़ों को पहले की तरह बिना अनुमति के काटा जा सकता है। यह फैसला किसानों की कृषि आय और पेड़ आधारित उद्योगों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

पर्यावरणविदों ने दी चेतावनी

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश राज्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। कृष्ण आरावली फाउंडेशन के अध्यक्ष और मुख्य नगर योजनाकार प्रो. के.के. यादव ने कहा कि “यदि हम पर्यावरण को स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं, तो केवल पौधारोपण पर्याप्त नहीं है, बल्कि मौजूदा पेड़ों का संरक्षण भी उतना ही जरूरी है।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि इस दिशा में ठोस प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाले समय में स्वच्छ हवा में सांस लेना और भी कठिन हो जाएगा।

जनजागरूकता और सख्त निगरानी की जरूरत

विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को केवल नियम लागू करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को पेड़ों के महत्व के बारे में बताना चाहिए। साथ ही, अवैध कटाई पर नजर रखने के लिए स्थानीय प्रशासन और ग्राम पंचायतों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी।